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Showing posts from September, 2018

भारत में जातीय व्यवस्था

    प्राचीन भारत में जातीय व्यवस्था नहीं उसकी जगह पर वर्ण व्यवस्था थी चार वर्ण थे क्षत्रिय, शुद्र, ब्राह्मण, जो कि उनके काम पर आधारित थी  क्षत्रिय का काम देश की रक्षा करना था उसी तरह ब्राह्मण का काम पूजा विधान करना था उसी तरह वैश्यौ का काम व्यवसाय करना था और शूद्र अन्य मेहनती काम क्या करते थे वहां पर क्योंकि प्राचीन काल में स्कूल और कॉलेज थे नहीं तो यह सारी विधाएँ पुत्र अपने पिता से सीखने लगा इसी तरह एक सुनार का पुत्र सुनार बना, लोहार का पुत्र लोहार बना, ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण बना परंतु मुख्य समस्याएं तब प्रारंभ हुई जब उन्होंने अपने आप को एक दूसरे से ऊपर दिखाना प्रारंभ कर दिया जैसे सुनार ने अपने आप को लोहार से ऊपर दिखाया, ब्राह्मण ने अपने आप को शुद्र से ऊपर दिखाया क्षत्रिय ने अपने आप को व्यवसायी से ऊपर दिखाया उस सब के पश्चात समाज में जाति के नाम पर अन्याय होने लगा जो अपने आप को बड़ा समझ रहे थे वह जिन्हें छोटे समझते थे उनके साथ अन्याय करने लगे प्रकार यह एक गंदी व्यवस्था हमारे समाज के साथ शामिल हो गई परंतु जब आज हम 21वीं सदी में है तो हम सब को एक

आज का विषय है नमस्कार : अर्थ ,लाभ ,तरीका

                                           नमस्कार  ' नम:' धातु से बना है 'नमस्कार'। नम: का अर्थ है नमन करना या झुकना। नमस्कार का मतलब पैर छूना नहीं होता। नमस्कार शब्द हिन्दी, गुजराती, मराठी, तमिल, बंगाली आदि वर्तमान में प्रचलित भाषाओं का शब्द नहीं है। यह हिन्दू धर्म की भाषा संस्कृत का शब्द है। संस्कृत से ही सभी भाषाओं का जन्म हुआ। नमस्कार करते समय व्यक्ति क्या करें और क्या न करें इसके भी शास्त्रों में नियम हैं। नियम से ही समाज चलता है। नमस्कार के मुख्यत: तीन प्रकार हैं:- सामान्य नमस्कार, पद नमस्कार और साष्टांग नमस्कार। सामान्य नमस्कार : किसी से मिलते वक्त सामान्य तौर पर दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है। प्रतिदिन हमसे कोई न कोई मिलता ही है, जो हमें नमस्कार करता है या हम उसे नमस्कार करते हैं। पद नमस्कार : इस नमस्कार के अंतर्गत हम अपने परिवार और कुटुम्ब के बुजुर्गों, माता-पिता आदि के पैर छूकर नमस्कार करते हैं। परिवार के अलावा हम अपने गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न व्यक्ति के पैर छूते हैं। साष्टांग नमस्कार : यह न